सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा। विकट रुप धरि लंक जरावा॥ वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥ मनोजवम् मारुततुल्यवेगम् जितेन्द्रियम् बुद्धिमताम् वरिष्ठम्। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा । ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय पंचवदनाय दक्षिण मुखे You might https://larryp418xza7.blognody.com/38584441/hanuman-chalisa-an-overview