काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । अर्थ: हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई। जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ Shiv https://shivchalisas.com